Oct 17, 2012

अधूरी क़ैद


यादों मे क़ैद थी तुम मेरी
अब जाओ तुम्हें आज़ाद किया
कुछ लम्हे जो साझे के हैं
धीरे धीरे बिसरा देना!

जब कमी खले तुम्हे किसी रोज़.....






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