Oct 17, 2012

अधूरी क़ैद


यादों मे क़ैद थी तुम मेरी
अब जाओ तुम्हें आज़ाद किया
कुछ लम्हे जो साझे के हैं
धीरे धीरे बिसरा देना!

जब कमी खले तुम्हे किसी रोज़.....






May 17, 2012

आहटें


आहटें कराती हैं एहसास
ख़ामोशी का, सूनेपन का

ख़ामोशी, सूनापन...
जो बसा होता हे मन में
और फिर..
फैलता जाता है वातावरण में

आहटें कराती हैं एहसास
ख़ामोशी का, सूनेपन का|



Jan 21, 2010

तुम आये तो



तुम आये तो जीवन रेखा को, थोडा और विस्तार मिला|
तुम आये तो हर सहमी हसरत को, थोडा और संसार मिला||

तुम आये तो बोझिल आँखों को, इक ठंडक का एहसास मिला|
तुम आये तो सोये जीवन को, एक शक्ति का संचार मिला||

तुम आये तो पगले भंवरे को, एक रस का नया है स्वाद मिला|
तुम आये तो नन्ही तितली को, उपवन भर का अभिसार मिला||

तुम आये तो मेरी हर उलझन को, है सुलझाने का ज्ञान मिला|
तुम आये तो इस पागल प्रेमी को, है बुनने को एक ख्याल मिला||

तुम आये तो...


Nov 25, 2009

एक शेर.. खामोशी से

मेरी ज़िन्दगी की ख़ामोशी भी टूट जाएगी|
ग़र आखिरी साँसों से तुम कुछ गुफ्तगू कर लो||


तन्हा











रात तन्हा, बात तन्हा, है आदमी का ख्वाब तन्हा|
जिंदा रहा तन्हाई में, मरने पे उसकी ख़ाक तन्हा||

मंदिर गया, महफ़िल गया, पर हर जगह तन्हा मिला|
है आदमी पे आदमी, क्यों आदमी फिर भी है तन्हा||

एहसास की बुनियाद पर, उनसे मिले तन्हाई में|
इक बात जो हम भी न कह सके, रोये थे वो भी हर बार तन्हा||

रात तन्हा, बात तन्हा, है आदमी का ख्वाब तन्हा|
जिंदा रहा तन्हाई में, मरने पे उसकी ख़ाक तन्हा||

अधूरा ख्वाब

न पूछो मेरा हाल, कि
कैसे जिया हूँ तेरे बाद|

उस रोज़ जो तुम कतरा-कतरा बिखरा गये थे
हर रोज़ शबे तन्हाई में, मैं
अक्सर ढूँढता फिरता हूँ|
हर रोज़ चुनता हूँ इस ख़याल से, कि
इसे एक शक्ल दूंगा
कल कुछ और चुनूंगा|
शब्दों का जादूगर.. नहीं..
कोई बुत ही
फ़रिश्ता भी नहीं
बस एक साथी|

उसे फिर सामने बैठा कर,
वो सब कुछ बयां होगा, कि
कैसा था वो अधूरा ख्वाब
औ कैसे जिया हूँ तेरे बाद||



विरक्ति

विरक्ति: मेरे मन के एक कोने से!