न पूछो मेरा हाल, कि
कैसे जिया हूँ तेरे बाद|
उस रोज़ जो तुम कतरा-कतरा बिखरा गये थे
हर रोज़ शबे तन्हाई में, मैं
अक्सर ढूँढता फिरता हूँ|
हर रोज़ चुनता हूँ इस ख़याल से, कि
इसे एक शक्ल दूंगा
कल कुछ और चुनूंगा|
शब्दों का जादूगर.. नहीं..
कोई बुत ही
फ़रिश्ता भी नहीं
बस एक साथी|
उसे फिर सामने बैठा कर,
वो सब कुछ बयां होगा, कि
कैसा था वो अधूरा ख्वाब
औ कैसे जिया हूँ तेरे बाद||
कैसे जिया हूँ तेरे बाद|
उस रोज़ जो तुम कतरा-कतरा बिखरा गये थे
हर रोज़ शबे तन्हाई में, मैं
अक्सर ढूँढता फिरता हूँ|
हर रोज़ चुनता हूँ इस ख़याल से, कि
इसे एक शक्ल दूंगा
कल कुछ और चुनूंगा|
शब्दों का जादूगर.. नहीं..
कोई बुत ही
फ़रिश्ता भी नहीं
बस एक साथी|
उसे फिर सामने बैठा कर,
वो सब कुछ बयां होगा, कि
कैसा था वो अधूरा ख्वाब
औ कैसे जिया हूँ तेरे बाद||
शब्दों का जादूगर.. नहीं..
ReplyDeleteकोई बुत ही
फ़रिश्ता भी नहीं
बस एक साथी|
bahut khoob. achcha laga.
nice kash har koi real me isse samaj pata
ReplyDeletehamesha yaad rahegiii
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