Nov 25, 2009

अधूरा ख्वाब

न पूछो मेरा हाल, कि
कैसे जिया हूँ तेरे बाद|

उस रोज़ जो तुम कतरा-कतरा बिखरा गये थे
हर रोज़ शबे तन्हाई में, मैं
अक्सर ढूँढता फिरता हूँ|
हर रोज़ चुनता हूँ इस ख़याल से, कि
इसे एक शक्ल दूंगा
कल कुछ और चुनूंगा|
शब्दों का जादूगर.. नहीं..
कोई बुत ही
फ़रिश्ता भी नहीं
बस एक साथी|

उसे फिर सामने बैठा कर,
वो सब कुछ बयां होगा, कि
कैसा था वो अधूरा ख्वाब
औ कैसे जिया हूँ तेरे बाद||



3 comments:

  1. शब्दों का जादूगर.. नहीं..
    कोई बुत ही
    फ़रिश्ता भी नहीं
    बस एक साथी|

    bahut khoob. achcha laga.

    ReplyDelete
  2. nice kash har koi real me isse samaj pata

    ReplyDelete
  3. hamesha yaad rahegiii

    ReplyDelete

निवेदन: टिप्पणी करते समय बौद्धिक एवं वैचारिक आतंकवाद से परहेज करें| धन्यवाद|